नवनीत शुक्ला, मुंगेली। समाज म सिक्छक के जेन दर्जा होथे तेला कोनो दूसर नइ ले सकय, स्वस्थ्य समाज बनाये बर सिक्छक अपन अमूल्य योगदान देते । अउ आज के सिक्छा व्यवस्था बर जतका कहव ओतका कम है। लेकिन
आजकल के गुरुजी मन पढ़ाये ले ज्यादा ब्लाक अउ जिला मुख्यालय म अटैच म रहिना पसंद करत हे। येला बिडम्बना कहे जाय य फेर काम म लापरवाही ? येखरे संग लइका मन के भविस्य घलो खराब होवत जात हे।
दरअसल, सिक्छक मन म सहर म रहना जादा जरूरी समझते। हेडक्वार्टर म कईठन समस्या रहिथे। जेला इमन सामना नइ करना चाहे। फेर अपन लइका ल निजी स्कूल में पढना जरूरू समझथे। अइसने कतको सिक्छक हव जे मन गुरूजी त बन गेहे हे लेकिन पढ़य बर नइ आवय । अइसन मन ल पढ़ाय ले जादा बाबू गिरी म ज्यादा मजा आथे। फेर थोड़ा बहुत खरचा पानी बर पइसा मिल जाथे।
शासन ह कुछु महीना पहिली अटेचमेंट ल खत्म करे बर आदेस निकाले गे रहिस । फेर बाद म नवा सत्र आये ले गुरुजी मन अपन अटेच करवा के अपन जगा म फेर बिराजमान होगे। दाई ददा मन अपन लइकन ल पढ़े बर स्कूल भेजथे। पर उहा गुरुजी के नई रहे ले लइकन के भविष्य ह अंधियार म नजर आवत हे।
ये समस्या के निराकरन करे बर रोहरा खुर्द के लइका मन मंगलवार के जनदरसन म जिला के मुखिया मेर गुहार लगाइन। अउ कहिन के हमर गुरुजी के ड्यूटी जिला मुख्यालय म होय के कारण हमर स्कूल म पढ़ाइ नइ होवत हे। येखर संग हमन ह कुछु पढ़ नइ पावन त रिजल्ट ह कइसे अच्छा आही।
पढ़ाय म कम अटैचमेंट में जादा रहिना पसंद करथे सिक्छक मन
नवनीत शुक्ला, मुंगेली। समाज म सिक्छक के जेन दर्जा होथे तेला कोनो दूसर नइ ले सकय, स्वस्थ्य समाज बनाये बर सिक्छक अपन अमूल्य योगदान देते । अउ आज के सिक्छा व्यवस्था बर जतका कहव ओतका कम है। लेकिन आजकल के गुरुजी मन पढ़ाये ले ज्यादा ब्लाक अउ जिला मुख्यालय म अटैच म रहिना पसंद करत […]
September 26, 2018
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