हरेली के दिन गाँव के किसान भाई मन अपन खेती के औजार उपकरण के साफ -सफाई करके, पूजा-अर्चना करथें।
आलेख – धनंजय राठौर, छगन लोन्हारे
सुशील जी के बिहाव श्रीमती बसंती देवी वर्मा से होइस जेकर से तीन बिटिया रत्न नेहा, वंदना, ममता के रूप मा मिलिस। तीनों बिटिया के शादी करके एक तरह से गंगा नहा डरे हे।
सुशील कुमार वर्मा “भोले“ जी के जनम ०२ जुलाई सन १९६१ म शुभ लगन के पावन बेरा म भाठापारा शहर थाना-धरसीवां,जिला-रायपुर म होए रिहिस।
Dinesh Chauhan, a follower of Eklavya tradition
हमर आवश्यकता के जो पारम्परिक उपकरण हे ओहर नदावत जावत हे, जेला हमन ल सहेज के रखे के प्रयास करना चाहिए। जेहर हमर पुरखा के धरोहर आय।
On the birthday of Laxman Masturia, the great poet of Chhattisgarh
ए बात ल छत्तीसगढ़ के नामी नाट्ककार प्रेम साईमन जी हर तको लिखे हावय कि- अब ईनाम अउ मान पाय खातीर मनखे के दिमाग ल कोलीहा कस अउ मुंहु ल सुरा कस होना चाही।
भारत के संस्कृति अउ सभ्यता ल नंगत नुकसान पहुंचाइस. हजारों मंदिर तोड़ दे गिस. समृद्ध सभ्यता ल तोड़ के तहस -नहस कर दे गिस
छत्तीसगढ़िया मनखे के नस नस म कबीर समाय हवय कइहँव त ये बात अतिशंयोक्ति नइ होही।